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कोरोना के कारण मात-पिता को खोने वाले बालकों की पहचान और उनके पुनर्वास के लिए तत्काल कदम उठाएं राज्य सरकारें: सुप्रीम कोर्ट

तारीख: 13 दिसंबर, 2021
स्रोत (Source): टीवी9 भारतवर्ष

तस्वीर स्रोत : टीवी9 भारतवर्ष

स्थान : मध्य प्रदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोविड महामारी के कारण अपने माता, पिता या दोनों को खोने वाले बालकों की पहचान करने की प्रक्रिया की गति को बेहद धीमा करार दिया और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे बालकों की पहचान और पुनर्वास के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए. साथ ही कहा कि इसके लिए उसके निर्देशों का इंतजार नहीं किया जाए.

 

ऐसे बालकों के मामले का स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने कहा कि देश में ‘लाखों बालक सड़क पर पहुंचने की कगार’ पर हो सकते हैं. शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के हलफनामे का संज्ञान लिया, जिसने ऐसे बालकों की पहचान और पुनर्वास जैसे मुद्दे पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बैठकें की थीं.

 

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘ऐसे बालकों के पुनर्वास की योजना के संबंध में राज्य सरकारों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों को रिकॉर्ड में रखा गया है. इस तरह के जिन बालकों की पहचान की गई है, उनकी संख्या को देखते हुए ऐसा लगता है कि पहचान की प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है.’ पीठ ने कहा कि जब यह मामला 15 नवंबर को एनजीओ ‘सेव द चिल्ड्रन’ द्वारा संज्ञान में लाया गया था, तब बताया गया था कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और दिल्ली के दस जिलों में ऐसे दो लाख बालक थे.

 

अदालत ने कहा, ‘देश के बाकी हिस्सों में लाखों बालक सड़क पर पहुंचने की कगार पर हो सकते हैं, जिन्हें बचाने और पुनर्वास की जरूरत है.’ पीठ ने राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों को बिना किसी देरी के ऐसे बालकों की पहचान करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए कहा कि आवश्यक जानकारी एनसीपीसीआर के पोर्टल (बाल स्वराज) पर अपलोड की जाए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार/ केंद्र शासित प्रदेशों के संबंधित अधिकारियों को एनसीपीसीआर या इस अदालत से किसी और निर्देश की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है.

 

वहीं, सुप्रीम कोर्ट कोविड-19 महामारी से गंभीर रूप से प्रभावित परिवारों का पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार करने का आग्रह करने वाली याचिका पर केंद्र और सभी राज्यों से जवाब मांग चुकी है. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने सुधीर कठपालिया द्वारा दायर याचिका पर केंद्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया था. याचिका में उन छात्रों के लिए शिक्षा शुल्क में छूट का आग्रह किया गया था जिन्होंने कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है.

 

 

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