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कोविड-19 के दौरान पिछले साल अप्रैल से 9,800 से अधिक बालक अनाथ हुए: एनसीपीसीआर

तारीख: 14 दिसंबर, 2021
स्रोत (Source): द वायर

तस्वीर स्रोत : द वायर

स्थान : दिल्ली

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान पिछले साल अप्रैल से इस साल सात दिसंबर तक 9,800 से अधिक बालक अनाथ हो गए, 508 बालकों को छोड़ दिया गया और 1.32 लाख से अधिक बालकों ने अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया.

 

शीर्ष अदालत महामारी के कारण अपने माता या पिता में से किसी एक को गंवा चुके बालकों पर पड़े प्रतिकूल प्रभाव का स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई कर रही है. इसी मामले की सुनवाई के दौरान एनसीपीसीआर ने एक शपथ-पत्र में यह अहम जानकारी दी.

 

एनसीपीसीआर ने बाल स्वराज पोर्टल-कोविड केयर पर अपलोड किए गए आंकड़ों का जिक्र करते हुए बताया कि अप्रैल, 2020 से लेकर सात दिसंबर, 2021 तक 9,855 बालक अनाथ हो चुके हैं, 1,32,113 बालक अपने माता-पिता में से किसी एक को खो चुके हैं और 508 बालकों को छोड़ दिया गया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आयोग ने बताया कि बालकों के पोर्टल की विसंगतियों को दूर करने के लिए अधूरे डाटा को पूरा करने के संबंध में विभिन्न जिला प्रशासनों को कुल 7,499 पत्र भेजे गए हैं.

 

हलफनामे में कहा गया है कि आयोग ने उक्त पत्रों में बालक की व्यक्तिगत बाल देखभाल योजना के आधार पर जिला प्रशासन के अधिकारियों को अपनी सिफारिशें भेजी थीं, ताकि बालक और उनके परिवार को योजनाओं/लाभों से जोड़कर समय पर वित्तीय सहायता भी प्रदान की जा सके.

 

न्यायालय ने सोमवार को कोविड महामारी के कारण अपने माता या पिता अथवा दोनों को खोने वाले बालकों की पहचान करने की प्रक्रिया की गति को बेहद धीमा करार दिया और राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को ऐसे बालकों की पहचान और पुनर्वास करने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए.

 

उसने साथ ही कहा कि इसके लिए उसके निर्देशों का इंतजार नहीं किया जाए. ऐसे बालकों के मामले का स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा कि देश में ‘लाखों बालक सड़क पर पहुंचने के कगार’ पर हो सकते हैं.

 

वहीं, सुप्रीम कोर्ट कोविड-19 महामारी से गंभीर रूप से प्रभावित परिवारों का पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार करने का आग्रह करने वाली याचिका पर केंद्र और सभी राज्यों से जवाब मांग चुकी है. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने सुधीर कठपालिया द्वारा दायर याचिका पर केंद्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया था. याचिका में उन छात्रों के लिए शिक्षा शुल्क में छूट का आग्रह किया गया था जिन्होंने कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है.

 

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