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महाराष्ट्र में एक साल में लापता हुए 7310 बालक

तारीख: 08 फरवरी, 2022

स्रोत (Source): भास्कर

तस्वीर स्रोत : भास्कर

स्थान : महाराष्ट्र

महाराष्ट्र मे पिछले एक साल के दौरान 7310 बालक लापता हो गए. इसके अलावा 3716 बालक राज्या की विभिन्न बाल संरक्षण संस्थाओं में रह रहे हैं. गृहराज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के हवाले से बताया कि महाराष्ट्र में पिछले तीन सालों में कुल 22,514 बालक लापता हुए. एक सवाल के लिखित जवाब में मंत्री ने लोकसभा में बताया कि 2020 में देशभर में कुल 108234 बालक लापता हुए. इससे पहले 2019 में भी 118364 और 2018 में 115656 बालक गायब हुए. उन्होंने बताया कि देशभर में कुल 2215 बाल देखभाल संस्थाएं चल रही हैं. जिनमं कुल 77615 बालक रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि महिला एंव बाल विकास मंत्रालय के तहत बाल संरक्षण सेवा योजना चलाई जाती है. जिसमें कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे बालकों को सहायता और सुरक्षा दी जाती है. हालांकि उऩ्होंने फुटपाथ पर रहने वाले बालकों के बारे में जानकारी देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह जानकारी एनसीआरबी द्वारा रखी नहीं जाती है.

उधर केन्द्र सरकार ने कहा है कि सड़कों पर भीख मांगने वाले बालकों के डीएनए सर्वेक्षण का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. यह जानकारी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ ने मंगलवार को लोकसभा में भाजपा सांसद अरविंद शर्मा के एक सवाल के लिखित जवाब में दी. शर्मा ने पूछा था कि क्या सरकार सड़कों पर भीख मांगने वाले बालकों के डीएनए सर्वेक्षण पर विचार कर रही है ताकि अवैध व्यापार किए गए बालकों को उनके जैविक माता पिता से मिलाने के लिए कदम उठाए जा सकें. गृह राज्य मंत्री ने बताया कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूचि के तहत ‘पुलिस’ और ‘लोक व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं. बालकों के प्रति अपराध की जांच एवं अभियोजन सहित कानून व्यवस्था बनाए रखने और नागरिकों की जान की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की होती है, जो कानून के मौजूदा प्रावधानों के अंतर्गत ऐसे अपराधों से निपटने के लिए सक्षम हैं. उन्होने कहा कि मानवी वाहतुक के अपराध और बालकों के प्रति अपरध की रोकथाम करना और उनसे निपटना एक सतत और विकसित होने वाली प्रक्रिया है, जिसमें प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलू और विभिन्न स्टेकहोल्डरों की ओर से अन्य प्रयास शामिल हैं. अजय मिश्रा ने बताया कि डीएनए सर्वेक्षण पर कोई विशेष प्रस्ताव गृह मंत्रालय में विचाराधीन नहीं है. हालांकि भारत सरकार वाहतुक के अपराध की रोकथाम और उससे निपटने वाली अवसंरचना की स्थापना और उसके सुदृढ़ीकरण के लिए राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है.

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