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पोकसो एक्ट की धारा 35 का अनुपालन नहीं करने से आरोपी को जमानत पर रिहा करने का अधिकार नहीं देता : कर्नाटक हाईकोर्ट

तारीख: 08 मई, 2021
स्रोत (Source): लाइव लॉ डॉट इन

तस्वीर स्रोत: Google Image

स्थान: कर्नाटक

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 35 का अनुपालन नहीं करने से आरोपी को डिफ़ॉल्ट जमानत पर रिहा करने का अधिकार नहीं देता है. पोकसो एक्ट की धारा 35 में यह प्रावधान है कि विशेष न्यायालय द्वारा अपराध के संज्ञान लेने के तीस दिनों की अवधि के भीतर बालक के साक्ष्य को दर्ज किए जाएगा और यदि इसमें किसी तरह की देरी होती है तो देरी के कारणों को विशेष न्यायालय द्वारा दर्ज किया जाएगा. अधिनियम की धारा 35 इसके अलावा यह भी कहती है कि विशेष अदालत अपराध का संज्ञान लेने की तिथि से एक वर्ष की अवधि के भीतर मुकदमे को यथासंभव पूरा करेगी.

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न और न्यायमूर्ति एमजी उमा की खंडपीठ ने कहा कि, “यदि विशेष न्यायालय के नियंत्रण से परे कारणों के लिए विशेष अदालत द्वारा संज्ञान लेने के तीस दिनों की अवधि के भीतर बालक के साक्ष्य को दर्ज नहीं किया जाता है या यदि संज्ञान लेने की तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर मुकदमा पूरा नहीं होता है तो आरोपी को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता है.” 

कोर्ट ने यह भी कहा कि पोकसो अधिनियम के तहत पर्याप्त संख्या में अपेक्षित मानव संसाधनों और बुनियादी ढांचे के साथ विशेष न्यायालयों का गठन नहीं किया गया है. ट्रायल कोर्ट के लिए व्यावहारिक रूप से असंभव हो सकता है कि अधिकांश मामलों में उक्त न्यायालय द्वारा संज्ञान की तिथि से एक वर्ष के भीतर ट्रायल का समापन न हो पाया हो, लेकिन यह आरोपी को इस कारण से जमानत लेने का अधिकार नहीं देता है कि पोकसो अधिनियम की धारा 35 का गैर-अनुपालन हुआ है.

 

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