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कोविड महामारी के दौरान पिता को खोने वाले दो बालकों को स्कूल फीस मामले में राहत देने से हाईकोर्ट का इंकार

तारीख: 27 अगस्त, 2021
स्रोत (Source): अमर उजाला

तस्वीर स्रोत : अमर उजाला

स्थान : नई दिल्ली

हाईकोर्ट ने कोविड महामारी के दौरान पिता को खोने वाले दो बालकों को निजी स्कूल फीस मामले में राहत प्रदान करने से इनकार कर दिया. अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि वह स्कूल फीस की अदायगी के लिए सरकार को निर्देश नहीं दे सकती. अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर अपने स्कूल से आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी के रूप में आवेदन कर संपर्क किया जा सकता है.

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने बालकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वे उनकी समस्या को समझ सकती हैं, लेकिन वह दिल्ली सरकार से निजी स्कूल की फीस देने के लिए अंतरिम आदेश पारित नहीं कर सकतीं. दिल्ली सरकार एक निजी स्कूल के लिए फीस का भुगतान नहीं कर सकती. उन्होंने कहा वे किसी एक व्यक्ति के लिए ऐसा आदेश नहीं कर सकतीं. अदालत ने कहा कि सरकार दोनों बालकों के लिए अपने स्कूलों में मुफ्त शिक्षा मुहैया करा सकती है.

बालकों की और से पेश अधिवक्ता भरत मल्होत्रा ने अदालत को बताया कि पिता की मौत के बाद उनकी मां गंभीर वित्तीय तनाव का सामना कर रही है. सरकार ने पहले घोषणा की थी कि ऐसे बालकों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी, या तो शुल्क का भुगतान सीधे अधिकारियों द्वारा किया जाना चाहिए या बाद में भुगतान करना चाहिए. उन्होंने अदालत को बताया कि 19 अगस्त को दिल्ली सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर निर्देश दिया था कि जो बालक अनाथ हो गए हैं या कोविड-19 के मातापिता को खो दिया है, उन्हें स्कूलों में अपनी शिक्षा जारी रखने में सक्षम बनाया जाना चाहिए.

उन्होंने तर्क रखा कि सर्कुलर के अनुसार प्रभावित बालकों को उसी स्कूल में रखा जा सकता है और इसके लिए डीडीए या सरकारी से सस्ती दरों पर भूमि लेने वाले स्कूलों में इन बालकों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग/वंचित समूह श्रेणी के तहत पढ़ने वाले छात्र के रूप में माना जा सकता है. दिल्ली सरकार के अधिवक्ता अनुज अग्रवाल ने अदालत को बताया कि सर्कुलर को एक सपतह बाद ही वापस ले लिया गया था. ऐसे में बालकों को संबंधित स्कूल से संपर्क करने के लिए कहा जाए.

उन्होंने कहा दिल्ली सरकार मुख्यमंत्री कोविड-19 परिवार सहायता योजना को लागू कर रही है, जिसके अनुसार उन परिवारों को 2,500 रुपये की मासिक सहायता प्रदान की जा रही है, जिन्होंने कमाई करने वाले सदस्य को खो दिया है. इसके अलावा 50 हजार रुपये उन परिवारों को अनुग्रह राशि के रूप में दिए हैं, जिन्होंने वायरस के किसी भी सदस्य को खो दिया है.

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