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“विकलांग व्यक्ति के साक्ष्य तुच्छ नहीं, कानून में ऐसा कोई भेदभाव नहीं”: मद्रास हाईकोर्ट

तारीख: 12 जुलाई, 2021
स्रोत (Source): लाइव लॉ डॉट इन

तस्वीर स्रोत : लाइव लॉ डॉट इन

स्थान : तमिलनाडु

मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार (7 जुलाई) को एक निचली अदालत के उस फैसले की पुष्टि की है,जिसके तहत एक नेत्रहीन महिला के अपहरण और लैंगिक उत्पीड़न के मामले में एक ऑटोरिक्शा चालक को दोषी करार देने के बाद सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी. पीड़िता की गवाही की प्रोबेटिव वैल्यू (प्रमाणनमूल्य) पर विचार करते हुए, न्यायमूर्ति आरएमटी टीका रमन ने कहा कि, ”कानून सक्षम व्यक्ति के साक्ष्य और विकलांग व्यक्ति (अलग तरह से सक्षम) के साक्ष्य के बीच भेदभाव नहीं करता हैकेवल विकलांगता के तथ्य के कारण, उसके साक्ष्य को सक्षम व्यक्ति के साक्ष्य की प्रकृति की तुलना में हीन नहीं माना जा सकता है. ऐसा करने से समानता के अधिकार के संविधान सिद्धांत की उपेक्षा हो सकती है.” 

जज ने आगे कहा, ”पीडब्ल्यू-1 के पास अंधा होने के कारण दृष्टि की कमी है, लेकिन उसके बयान में दृष्टि थी और इसलिए, यह न्यायालय मानता है कि पीडब्ल्यू-1 की गवाही साक्ष्य में स्वीकार्य है.” पीड़िता एक दृष्टिबाधित महिला है, जो तमिलनाडु के विल्लीवाक्कम में एक संस्थान में अंग्रेजी संगीत सीखने आई थी. 21 मार्च, 2020 को याचिकाकर्ता पीड़िता को संबंधित संगीत संस्थान में ले जाने के बजाय उसे सुनसान जगह पर ले गया और वहां उसका लैंगिक शोषण करना शुरू कर दिया. जब पीड़िता ने शोर मचाना शुरू किया तो याचिकाकर्ता ने उसे यह कहते हुए धमकी दी कि अगर उसने सहयोग नहीं किया तो वह उसे जान से मार देगा.

तदनुसार, याचिकाकर्ताअभियुक्त को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 366 (अपहरण) के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था और महिला न्यायालय, चेन्नई ने उसे सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. इसके अलावा, निचली अदालत ने याचिकाकर्ता को आईपीसी की धारा 354 (एक महिला का शील भंग करने का इरादा) और धारा 506 (ii) (आपराधिक धमकी) के तहत भी दोषी ठहराया था और उसे 4 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई था. उपरोक्त कारावास की सजाएं साथसाथ चलने का आदेश दिया गया था.

कोर्ट ने कहा कि, ”इस मामले में, पीडब्ल्यू-1 के अंधेपन का मतलब था कि उसका दुनिया के साथ कोई दृश्य संपर्क नहीं था. इसलिए अपने आसपास के लोगों की पहचान करने का उसका प्राथमिक तरीका, उनकी आवाज को पहचानना है और इसलिए पीडब्ल्यू-1 की गवाही उस पीड़िता के समान वजन की हकदार है, जो अपीलकर्ता को देखकर पहचान करने में सक्षम होती.” 

 

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